केमद्रुम दोष या फिर बर्बादी का योग ।। Kemadrum Dosh Ya Barbadi Ka Yoga.
हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, चन्द्रमा से बनने वाला ये दोष अपने आप में महासत्यानाशी दोष माना जाता है । यदि चंद्रमा से द्वितीय और द्वादश दोनों स्थानों में कोई ग्रह न हो तो केमद्रुम नामक या दोष बनता है ।।
या फिर आप इसे इस प्रकार समझे चन्द्रमा कुंडली के जिस भी घर में हो, उसके आगे और पीछे के घर में कोई ग्रह न हो तो यह दोष बनता है । इसके अलावा चन्द्रमा की किसी ग्रह से युति न हो या चंद्र को कोई शुभ ग्रह न देखता हो तो भी कुण्डली में केमद्रुम दोष बनता है ।।
केमद्रुम दोष के संदर्भ में छाया ग्रह राहु केतु की गणना नहीं की जाती है । जिस भी व्यक्ति की कुण्डली में यह दोष बनता हो उसे सजग रहना चाहिये ।।
इस दोष में उत्पन्न हुआ व्यक्ति जीवन में कभी न कभी किसी न किस पड़ाव पर दरिद्रता एवं संघर्ष से ग्रस्त होता ही है । अपने ज्योतिष के अनुभव में मेने ऐसे ऐसे व्यक्ति देखे है जिन्होंने बड़ी मेहनत करके पैसा कमाया लेकिन कुछ एक सालो बाद सब बर्बाद हो गया, क्योंकि उसकी कुंडली में यह दोष था ।।
जीवन में सब कुछ छीन लेना या शून्य स्थिति में ला देना इसी दोष के कारण होता है । इसके साथ ही साथ ऐसे व्यक्ति अशिक्षित या कम पढ़े-लिखे, निर्धन एवं मूर्ख भी हो सकते है ।।
यह भी कहा जाता है, कि केमदुम योग वाला व्यक्ति वैवाहिक जीवन और संतान का अथवा संतान से उचित सुख नहीं प्राप्त कर पाता है । वह सामान्यत: घर से दूर ही रहता है ।।
व्यर्थ बात करने वाला होता है कभी कभी उसके स्वभाव में नीचता का भाव भी देखा जा सकता है । जिसकी कुंडली में यह रहता है वो लगभग जीवन पर्यन्त सभी मामलों में दरिद्र ही होता है ।।
मित्रों, अगर दोष होता है तो उसका उपाय भी अवश्य ही होता है । केमद्रुम योग के अशुभ प्रभावों को दूर करने हेतु कुछ उपायों को करके इस योग के अशुभ प्रभावों को कम करके शुभता को प्राप्त किया जा सकता ।।
इसके लिये सोमवार के दिन भगवान शिव के मंदिर जाकर शिवलिंग का जल एवं गाय के कच्चे दूध से अभिषेक एवं पूजा करें । भगवान शिव ओर माता पार्वती का पूजन करें ।।
रूद्राक्ष की माला से शिवपंचाक्षरी मंत्र “ऊँ नम: शिवाय” का जप करें । ऎसा करने से केमद्रुम योग के अशुभ फलों में कमी आएगी । घर में दक्षिणावर्ती शंख स्थापित करके नियमित रुप से श्रीसूक्त का पाठ करें ।।
दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर उस जल से देवी लक्ष्मी की मूर्ति को स्नान कराएं । घर में स्फटिक के श्रीयन्त्र अवश्य रखकर पूजा करें तथा चांदी के श्रीयंत्र में मोती धारण करके उसे सदैव अपने पास रखें या धारण करें ।।
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