मकर संक्रान्ति को करें यह दान एवं उपाय।। Makar Sankranti Parv.
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मित्रों, मकर संक्रांति भगवान सूर्य की उपासना का पर्व होता है। सूर्यदेव जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे ही मकर संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति पूरे देश में धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया जाता है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। यह संक्रांति का पर्व उमंग, हर्ष, उत्साह और हमारी संस्कृति का प्रतीक है। मकर संक्रांति पर सूर्यदेव दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं।।
इस दिन के बाद से रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं। वहीं इस दिन से मांगलिक एवं शुभ कार्यों की शुरूआत हो जाती है। इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी गुरुवार को है। इसके साथ ही विवाह के शुभ मुहूर्त भी शुरू हो जाएंगे। इस वर्ष 14 जनवरी को मकर (तिल) संक्रांति मनाई जाएगी। पौष शुक्ल पक्ष प्रतिपदा दिन-गुरुवार को भगवान सूर्य का राशि परिवर्तन होगा और वे धनु से मकर राशि में प्रवेश करेंगे।।
गुरुवार 14 जनवरी को सुबह 08:16 AM बजे के उपरान्त सूर्य का मकर में संक्रमण होगा। धनु राशि से मकर राशि में भगवान सूर्य सुबह 08:16 AM बजे होगा। आज स्नान के लिए पुण्यकाल सुबह 08:16 AM बजे से सायं 18:17 PM बजे तक है। महा पुण्यकाल सुबह 08:16 AM बजे से 08:40 AM बजे तक होगा। इसलिए गुरुवार की सुबह से ही संक्रांति स्नान, दान शुरू हो जाएगा।।
इसके पहले भी कई बार 12 और 13 जनवरी को भी मकर संक्रांति मनाई जा चुकी है। एक बार स्वामी विवेकानंद के जन्म पर 12 जनवरी को भी मकर संक्रांति मनाई गयी थी। जब भी कभी सूर्य का राशि परिवर्तन सूर्यास्त अथवा अर्द्ध रात्रि के बाद होता है तब पुण्यकाल और मकर संक्रांति उसके अगले दिन होता है और उसी के अनुसार दान पुण्य किया जाना चाहिए।।
मकर संक्रांति के साथ ही सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाये हैं। इस दिन स्नान दान का खास महत्व होता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य की उपासना अत्यंत शुभ फलदायक माना गया है। सूर्यदेव को सभी नौ ग्रहों में सबसे ज्यादा शक्तिशाली और प्रभावशाली माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य न्याय के देवता शनि देव के पिता हैं। सूर्यदेव किसी भी जातक को सरकारी नौकरी दिलाने में अहम भूमिका निभाते हैं। साथ ही किसी भी व्यक्ति के जीवन में यश एवं प्रतिष्ठा का कारक भी सूर्य ही होते हैं।।
जो सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए संक्रान्ति को बेहद खास माना गया है। इस बार संक्रांति का वाहन सिंह एवं उपवाहन गज (हाथी) होगा। इस वर्ष 2021 में संक्रांति श्वेत वस्त्र धारण किए इस वर्ष संक्रांति का आगमन श्वेत वस्त्र एवं पाटली कंचुकी धारण किए बालावस्था में कस्तूरी लेपन कर गदा आयुध (शस्त्र) लिए स्वर्णपात्र में अन्न भक्षण करते हुए आग्नेय दिशा को दृष्टिगत किए पूर्व दिशा की ओर गमन करते हो रहा है। जिस जातक की कुंडली में सूर्य ग्रह शुभ स्थिति में होता है वह उच्चपद प्राप्त करता है। साथ ही सूर्य के प्रभाव से उसकी ख्याति और प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होती है। सूर्य देव सिंह राशि के स्वामी ग्रह भी हैं। सूर्य की दशा 6 वर्ष होती है एवं सूर्य का रत्न माणिक्य माना जाता है।।
सूर्य की प्रिय वस्तुएं गाय, गुड़, और लाल वस्त्र आदि हैं। तांबा और सोना को सूर्य की प्रिय धातु माना गया है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को प्रसन्न करने के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं, यह अत्यंत शुभ फलदायक साबित होते हैं। शास्त्रों में सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए रविवार का दिन सबसे उत्तम माना गया है। रविवार के दिन गेहूं और गुड़ गाय को खिलाने या किसी ब्राहमण को दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है और साथ ही सूर्य शुभ एवं प्रभावी होता है।।
विष्णु पुराण के अनुसार रविवार के दिन सूर्य देव को आक का एक फूल श्रद्धा पूर्वक अर्पित करने से मनुष्य को 10 अशर्फियों के दान का फल मिलता है। इतना ही नहीं इस फूल को नियमित चढ़ाने से व्यक्ति करोड़पति बन सकता है। भगवान सूर्य को खुश करने के लिए रात के समय कदंब और मुकुल के पुष्प अर्पित करना श्रेयस्कर माना जाता है। सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए बेला का फूल ही एक ऐसा फूल है जिसे दिन या रात किसी वक्त चढ़ा सकते हैं।।
इसके अलावा कुछ फूल ऐसे भी हैं, जिसे सूर्यदेव को कदापि नहीं चढ़ाना चाहिए। ये पुष्प हैं गुंजा, धतूरा, अपराजिता और तगर आदि। मकर संक्रांति के दिन नदियों, सरोवरों तथा समुद्र के किनारे मेले आदि का आयोजन होता है। लोग पवित्र नदियों में स्नान कर सूर्यदेव को अर्ध्य अर्पित कर सूर्योपासना करते हैं और खिचड़ी तथा तिल के व्यंजनों का सेवन करते हैं।।
इस दिन विभिन्न स्थानों में पतंग महोत्सव विशेषकर गुजरात में बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। आज के समय में गुजरात के गांधीनगर एवं अहमदाबाद में इंटर्नेशनल पतंगोत्सव का आयोजन होता है। मकर संक्रांति के दिन दान का विशेष महत्व होता है। इस दिन दान में आटा, दाल, चावल, खिचड़ी और तिल के लड्डू विशेष रूप से गरीबों एवं ब्राह्मणों को दान करना श्रेयस्कर माना जाता है।।
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