ऐसा मंगल आर्थिक रूप से संपन्न बनाता है।। Mangal Dhan Deta Hai.
मंगलवार के दिन भूलकर भी मांसाहार, मदिरा या किसी भी तरह की नशीली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। हो सके तो मंगलवार को नमक भी नहीं खाना चाहिए। माना जाता है, कि इससे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। साथ ही मंगलवार को नमक खाने से कार्यों में विघ्न-बाधाओं का सामना भी करना पड़ता है। मंगलवार के दिन क्रोध भी नहीं करना चाहिए और न ही किसी को अपशब्द बोलना चाहिए।।
इससे मंगल ग्रह आपकी कुण्डली में कारक अर्थात शुभ हो जाता है। जिससे आपको प्रॉपर्टी से संबन्धित लाभ करवाता है। मंगल नेक सेनापति का स्वभाव रखता है। आपको न्यायप्रिय और ईमानदार रहता है। मंगल शुभ हो तो साहसी सैन्य अधिकारी बनाता है। किसी प्राइवेट कंपनी में लीडर या फिर बहुत बड़ा उच्चाधिकारी बनाता है। इतना ही नहीं श्रेष्ठ राजनेता बनाता है।।
मित्रों, मूलरूप से मंगल अच्छाई पर चलने वाला ग्रह है। किंतु मंगल को बुराई की ओर जाने की प्रेरणा मिलती है तो यह पीछे नहीं हटता। साथ ही यही मूल कारण होता है उसके अशुभ होने या अशुभ फल देने का। कुण्डली में सूर्य और बुध मिलकर शुभ मंगल बन जाते हैं। दसवें भाव में मंगल का होना अच्छा माना जाता है। मंगल प्रधान व्यक्ति में नेतृत्व क्षमता अच्छी होती है। साथ ही मंगल शुभ हो तो पराक्रमी और साहसी बनाता है।।
ऐसे लोगों की आंखें लंबी और त्वचा तांबई रंग लिए होती है। ऐसे व्यक्ति में स्वाभिमान होता है और यह भीड़ में भी सबसे अलग पहचाने जा सकते हैं। एक तरफ मंगल जहाँ दाम्पत्य जीवन के लिए सबसे खराब ग्रह कहा गया है। तथा मांगलिक दोष के कारण वैवाहिक जीवन को तहस-नहस करने वाला कहा गया है। वहीं पर यह मंगल आर्थिक सम्पन्नता एवं भूमि-भवन, वाहन आदि की समृद्धि को भी दर्शाता है।।
इसमें कोई संदेह नहीं है, कि मंगल के द्वारा कुंडली मांगलिक होने पर दाम्पत्य जीवन को कठिनाई का सामना करना पड़ता है। किन्तु यहाँ यह बात भी नहीं भूलना है, कि इस मंगल का वैवाहिक जीवन पर दुष्प्रभाव तभी पड़ता है, जब यह मंगल वास्तव में योग, भाव, राशि एवं दृष्टि संबंध के द्वारा अशुभ हो। यदि मंगल इस प्रकार अशुभ नहीं हो तो यही मंगल वैवाहिक जीवन को अत्यंत मधुर, सुखी एवं संपन्न बना देता है।।
मित्रों, कुण्डली में मंगल यदि चौथे एवं सातवें भाव में बैठा हो तो कुंडली मांगलिक कहलाती है। किन्तु यदि यही मंगल मेष राशि का होकर लग्न में सूर्य के साथ अथवा चौथे भाव में मकर राशि का होकर शनि के साथ हो तो वह व्यक्ति धन-धान्य से संपन्न होकर सबसे सुखी एवं शांत जीवन व्यतीत करवाता है। इसमें कोई संदेह नहीं है। इसी प्रकार यदि मंगल भले ही आठवें हो किन्तु लग्नेश एवं सप्तमेश की युति किसी भी केंद्र में हो तो उस जातक का वैवाहिक जीवन बहुत ही सुखी एवं यशस्वी होता है।।
मंगल भले ही बारहवें भाव में हो, किन्तु यदि गुरु या शुक्र में से कोई भी एक उच्चस्थ होकर एक-दूसरे के साथ किसी भी केंद्र में बैठा हो तो दाम्पत्य जीवन सुखी होगा। इसके विपरीत दसवें भाव में मंगल हो तो कुंडली मांगलिक नहीं होती है। ज्योतिष के अनुसार दशम भाव में मंगल को उच्च अर्थात मकर राशि का मान लिया जाता है। साथ ही दशमेश को शुभ केंद्र, लग्न में शुभ ग्रह बुध के साथ युति मान लेते हैं। इस प्रकार सभी तरह से मंगल के शुभ होने पर भी वैवाहिक जीवन अनर्थकारी हो जाता है।।
ऐसे में जातक दर-दर का भिखारी एवं जाति, समाज से बहिष्कृत हो जाता है। इसमें तो कोई संदेह ही नहीं है, कि अगर कुंडली में मंगल कमजोर हुआ तो आदमी गरीब होता ही है। कहा जाता है की मंगल अगर आठवें अथवा बारहवें भाव में हो तो आदमी मांगलिक हो जाता है। किन्तु अगर मंगल आठवें या बारहवें भाव में अपने घर में हो या आठवें घर में बारहवें घर के स्वामी के साथ अथवा बारहवें घर में आठवें भाव के स्वामी के साथ हो तो सरल एवं विमल नामक शुभ योग बनते हैं।।
कुंडली मांगलिक होने की मात्र कुछ एक शर्तें ही हैं। जिससे कुंडली मांगलिक हो जाती है। अन्यथा कुंडली में मंगल अगर पापपूर्ण अथवा अस्त आदि से कमजोर न हो तो जीवन धन-धान्य पूर्ण शांत एवं सुखी होता है। नाम के अनुरूप मंगल हमेशा मंगल ही करता है। परन्तु विविध भ्रांतियों ने इस देवग्रह की महिमा ही खंडित कर दी है।।
जो मंगल भूमि-भवन एवं वाहन का द्योतक है, जिस मंगल के कारण वंश वृद्धि होती है, जो मंगल स्थायी संपदा का द्योतक है, जो मंगल विवाह जैसा पवित्र बंधन प्रदान करता है। उस मंगल को इतना बदनाम कर दिया गया है, की आम जनता इससे सदा भयभीत रहता है। यह जान लेना चाहिए की मंगल यदि कमजोर हो तो वंश वृद्धि रुक जाएगी। धन-संपदा नष्ट हो जाएगी। साहस एवं पराक्रम क्षीण हो जाएगा।।