सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध और गुरु के नकारात्मक प्रभाव एवं उसके निवारण के उपाय ।। Surya Chandra Mangal Budh And Guru Ke Dushprabhav And Upay.
हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, सूर्य पिता, आत्मा, समाज में मान, सम्मान, यश, कीर्ति, प्रसिद्धि, प्रतिष्ठा का कारक ग्रह होता है । सूर्य ग्रह की राशि है सिंह । कुंडली में सूर्य के अशुभ होने पर पेट, आँख एवं हृदय का रोग हो सकता है ।।
साथ ही सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न करवाता है । इसके लक्षण यह है, कि मुँह में बार-बार बलगम इकट्ठा हो जाता है । सामाजिक हानि, अपयश, मन का दुखी या असंतुस्ट होना, पिता से विवाद या वैचारिक मतभेद सूर्य के पीड़ित होने के सूचक है ।।
मित्रों, ऐसे में भगवान राम की आराधना करनी चाहिये । आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करे, सूर्य को आर्घ्य दे, गायत्री मंत्र का जप करे । ताँबा, गेहूँ एवं गुड का दान करें । प्रत्येक कार्य का प्रारंभ मीठा खाकर करें ।।
सूर्य को ठीक करने या शुभ फल प्राप्ति हेतु ताबें के एक टुकड़े को काटकर उसके दो भाग करें । एक को पानी में बहा दें तथा दूसरे को जीवन भर साथ रखें । ॐ रं रवये नमः या ॐ घृणी सूर्याय नमः १०८ बार अर्थात १ माला जप करे ।।
मित्रों, चन्द्रमा माँ का सूचक होता है और इसे मन का कारक माना जाता है । शास्त्र कहता है की “चंद्रमा मनसो जात:” । इसकी कर्क राशि है । कुंडली में चंद्रमा के अशुभ होने पर माता को किसी भी प्रकार का कष्ट या स्वास्थ्य को खतरा होता है, दूध देने वाले पशुओं की मृत्यु हो जाती है ।।
स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है । घर में पानी की कमी हो जाती है या नलकूप, कुएँ आदि सूख जाते हैं । मानसिक तनाव, मन में घबराहट, तरह तरह की शंका मनं में आती है और मन में अनिश्चित भय एवं शंका बनी रहती है और सर्दी लगी रहती है । व्यक्ति के मन में आत्महत्या तक करने के विचार बार-बार आते रहते हैं ।।
मित्रों, इसका उपाय है, सोमवार का व्रत करना, माता की सेवा करना, शिव की आराधना करना, मोती धारण करना, दो मोती या दो चाँदी का टुकड़ा लेकर एक टुकड़ा पानी में बहा दें तथा दूसरे को अपने पास रखें । कुंडली के छठवें भाव में चंद्र हो तो दूध या पानी का दान करना मना है ।।
यदि चंद्र बारहवाँ हो तो धर्मात्मा या साधु को भोजन कभी न कराएँ और ना ही दूध पिलाएँ । सोमवार को सफ़ेद वस्तु जैसे दही, चीनी, चावल, सफ़ेद वस्त्र, १ जोड़ा जनेऊ दक्षिणा के साथ दान करना और ॐ सोम सोमाय नमः का १०८ बार नित्य जप करना श्रेयस्कर होता है ।।
मित्रों, मंगल सेना पति होता है, भाई का भी द्योतक और रक्त का भी कारक माना गया है । इसकी मेष और वृश्चिक दो राशियाँ होती है । कुंडली में मंगल के अशुभ होने पर भाई, पटीदारो से विवाद, रक्त सम्बन्धी समस्या, नेत्र रोग, उच्च रक्तचाप, क्रोधित होना, उत्तेजित होना, वात रोग और गठिया होता है ।।
रक्त की कमी या खून खराब होने वाला रोग हो जाता है । व्यक्ति अत्यन्त क्रोधी स्वभाव का हो जाता है । मान्यता यह भी है, कि बच्चे जन्म लेते ही मर जाते हैं । अर्थात मंगल की अशुभ दशा जातक को संतान बाधा खड़ी करता है ।।
मित्रों, इसका उपाय ये है, कि ताँबा, गेहूँ एवं गुड, लाल कपडा और माचिस का दान करें । तंदूर की मीठी रोटी का दान करें । बहते पानी में रेवड़ीयाँ और बताशे बहाएँ, मसूर की दाल दान में दें ।।
हनुमान जी की आराधना करना, हनुमान जी को चोला अर्पित करना, हनुमान जी के मंदिर में ध्वजा दान करना, बंदरो को चने खिलाना, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमानाष्टक और सुंदरकांड का पाठ तथा ॐ अं अंगारकाय नमः का १०८ बार नित्य जप करना श्रेयस्कर होता है ।।
मित्रों, बुध व्यापार एवं स्वास्थ्य का कारक माना गया है । यह मिथुन और कन्या राशि का स्वामी है । बुध वाक् कला का भी द्योतक माना जाता है । विद्या और बुद्धि का भी कारक ग्रह है ।।
कुंडली में बुध अशुभ हो तो दाँत भी कमजोर हो जाते हैं । सूँघने की शक्ति कम हो जाती है । गुप्त रोग हो सकता है । व्यक्ति की वाक् क्षमता भी जाती रहती है । नौकरी और व्यवसाय में धोखा और नुक्सान भी हो सकता है ।।
मित्रों, ख़राब बुध को ठीक करने के लिए भगवान गणेश और माँ दुर्गा की आराधना करे । गौ सेवा करे, काले कुत्ते को इमरती देना लाभकारी होता है । नाक छिदवाएँ, ताबें के प्लेट में छेद करके बहते पानी में बहाएँ । अपने भोजन में से एक हिस्सा गाय को, एक हिस्सा कुत्तों को और एक हिस्सा कौवे को दें ।।
अपने हाथ से गाय को हरा चारा, हरा साग खिलाये । उड़द की दाल का सेवन एवं दान करें । बालिकाओं को भोजन कराएँ, किन्नरों को हरी साडी, सुहाग सामग्री दान देना भी बहुत चमत्कारी होता है । ॐ बुं बुद्धाय नमः का १०८ बार नित्य जप करना श्रेयस्कर होता है अथवा गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें । पन्ना या हरे वस्त्र धारण करें और यदि संभव न हो तो हरा रुमाल साथ रखें ।।
मित्रों, वृहस्पति की भी दो राशियाँ होती है धनु और मीन । कुंडली में गुरु के अशुभ प्रभाव में आने पर सिर के बाल झड़ने लगते हैं । परिवार में बिना बात तनाव, कलह-क्लेश का माहौल बना रहता है ।।
सोना या स्वर्णाभूषण आदि खो जाता है और चोरी हो जाता है । आर्थिक नुक्सान या धन का अचानक व्यय, खर्च सम्हलता नहीं, शिक्षा में बाधायें आती है । अपयश झेलना पड़ता है । वाणी पर सयम नहीं रहता ।।
गुरु को ठीक करने के लिये ब्राह्मणों का यथोचित सम्मान करें । माथे या नाभी पर केसर का तिलक लगाएँ । कलाई में पीला रेशमी धागा बांधे । संभव हो तो पुखराज धारण करे अथवा पीले वस्त्र या हल्दी की सुखी गाँठ साथ रखें ।।
कोई भी अच्छा कार्य करने के पूर्व अपना नाक साफ करें । दान में हल्दी, दाल, पीतल का पत्र, कोई धार्मिक पुस्तक, १ जोड़ा जनेऊ, पीले वस्त्र, केला, केसर, पीले मिस्ठान, दक्षिणा आदि के साथ देवें । भगवान विष्णु की आराधना करें तथा ॐ बृं वृहस्पतये नमः का १०८ बार नित्य जप करना श्रेयस्कर होता है ।।
मित्रों अगले लेख में बाकि के चार ग्रह शुक्र, शनि, राहू और केतु के शुभाशुभ फल उनके नकारात्मक दु:ष्प्रभाव तथा उनको ठीक करने के उपायों के विषय में भी विस्तृत चर्चा करेंगे ।।
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